Tuesday, 25 December 2018

दादा पोता ने पंजाबन की चूत चोद दी (Dada Pota Ne Punjaban Ki Chut Chod Di)



मैं विकास के सामने घोड़ी बनी हुई थी और विकास का लंड मेरी चूत में था. वो धक्के के ऊपर धक्के लगा कर मुझे चोद रहा था. मैंने अपने दोनों हाथ पीछे गांड पर रखे हुए थे और अपने कूल्हे खोल दिए थे ताकि उसका मोटा लंड मेरी चूत के अन्दर बाहर आसानी से हो सके. विकास भी मेरी पतली कमर को पकड़ कर मुझे ज़ोर ज़ोर से चोद रहा था. उसकी जांघें मेरे चूतड़ों से टकराने से कमरे में थप थप की आवाज़ें गूँज रही थीं. मेरे मुँह से भी सिसकारियां निकल रही थीं और मैं आह्ह्ह … आअह्ह्ह …’ करती हुई अपनी गांड को विकास के लंड के साथ आगे पीछे कर रही थी. विकास का एकदम कड़क और तना हुआ लंड मुझे ऐसे महसूस हो रहा था, जैसे मेरी चुत में कोई गर्म लोहे की रॉड अन्दर बाहर हो रही हो.
उसी वक्त मुझे एक जोरदार झटका लगा जब मैंने खिड़की की तरफ देखा. मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गयी, मैंने विकास का लंड अपनी चुत से एक झटके से बाहर निकालते हुए खिड़की की तरफ इशारा किया. विकास भी खिड़की की तरफ देखकर भौंचक्का रह गया और उसका लंड भी कुछ ही सेकेंड में ढीला हो गया. खिड़की के बाहर 60-65 साल का एक बूढ़ा खड़ा था और वो आँखें लाल किए हुए हमारी तरफ ही देख रहा था. डर के मारे मेरे हाथ पैर काँपने लगे और मैं जल्दबाज़ी में अपने कपड़ों को तलाशने लगी.
तभी विकास के मुँह से डगमगाते हुए शब्द निकले- दा…दा… दादा जी… आआआप…!
उफ्फ़ सॉरी सॉरी दोस्तो, मैं आपको अपने बारे में तो बताना भूल ही गयी. मेरा नाम कोमलप्रीत कौर है और मैं पंजाब के जालंधर शहर के पास एक गांव में रहती हूँ. मेरे पति आर्मी में हैं और मैं अपने सास और ससुर के साथ रहती हूँ.
मुझे नये नये लड़कों से अपनी चुदाई कराने में बहुत मज़ा आता है. मेरे पति की नौकरी की वजह से मुझे कई कई महीने बिना चुदे ही निकालने पड़ते. मगर मेरी जवानी को पाने के लिए बहुत सारे लड़के मुझे पटाने को लगे रहते और मैं भी पति की बिना कितनी देर रह सकती थी. आख़िर मैं भी तो एक औरत हूँ.. बस मौका देखते ही मैं भी उनको लाइन देने लगी और फिर शुरू हुआ मेरी ताबड़तोड़ चुदाई का सिलसिला.
मैं बेख़ौफ़ चुदने लगी. कभी किसी लड़के के साथ और कभी किसी बूढ़े के साथ … जो भी मुझे पसंद आता और जहां भी मुझे मौका मिलता, मैं किसी के भी लंड से अपनी प्यासी चुत की प्यास बुझा लेती.
मेरी पिछली चुदाई कहानी
आपने पढ़ी ही होगी जिसमें मैं अपने पति के फूफाजी से चुदी थी.
ऐसे ही मुझे एक बार बस में एक लड़का मिला. उसका नाम विकास था. बस में भीड़ का फ़ायदा उठाकर वो मेरे बदन पर हाथ फेरने में भी कामयाब हो गया और मुझे पटाने में भी सफल हो गया. मैं तो पहले से ही बड़े और मोटे लंड की दीवानी ठहरी, उसका इशारा पाकर अपनी मुस्कराहट को रोक नहीं पाई और वो भी बस से उतरते ही मेरे पीछे पीछे चल दिया. कुछ आगे जाकर वो मुझे कॉफी के लिए बोलने लगा. उसके हाथ ने तो मुझे बस में ही गर्म कर दिया था इसलिए मैं भी उसकी कॉफी पीने को तैयार हो गयी.
वो मुझे एक रेस्टोरेंट में ले गया. कॉफी पीते पीते उसके हाथ मेरी जांघ और फिर मेरी चुत पर ही चलते रहे. चुदासी होने के कारण मेरी टांगें चौड़ी होने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगा. विकास भी मेरी चुत की प्यास को जान गया और मुझसे बोला- आज मेरे घर में कोई नहीं है, क्या मेरे साथ जाना चाहोगी?
ऐसे बढ़िया मौके को भला मैं कैसे छोड़ सकती थी.. मैं उसके साथ जाने को तैयार हो गयी. फिर वो मुझे एक पार्किंग में ले गया और उधर से अपनी बाइक उठा कर मुझे जालंधर के ही एक मुहल्ले में ले गया.
उसकी शानदार कोठी थी. उसने ताला खोला और अन्दर जाते ही उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया. मैं भी बिना वक़्त गंवाए अपनी चुत की प्यास बुझवाना चाहती थी. फिर विकास मुझे अपनी बांहों में उठाकर अपने बेडरूम में ले गया और एक एक करके मेरे कपड़े उतारने लगा. मैं भी उसका साथ देते हुए कुछ ही पलों में बिल्कुल नंगी हो गयी. फिर विकास भी कुछ ही पलों में नंगा हो गया.
हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर बेड पर करवटें बदलते हुए एक दूसरे के ऊपर नीचे होने लगे. विकास का तना हुआ लंड मेरी गीली हो रही चुत में घुसने को बेकरार था. मैंने भी उसकी बेकरारी को देखते हुए उसका लंड पकड़ कर अपनी चुत में डाल लिया. विकास भी अपने लंड को मेरी चुत में पेलने लगा और फिर मेरी चुत विकास के मोटे लंड से चुदने लगी.
मेरे मुँह से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… आहह …’ की आवाज़ें निकलने लगीं और मैं बिना किसी डर के ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी. विकास का लंड मुझे आनंदित करने के लिए काफ़ी था और उसकी जवानी का जोश भी मेरी चुत की आग को ठंडा करने के लिए बहुत था.
बीस मिनट की चुदाई के बाद विकास मेरी चुत में ही झड़ गया और मैं भी झड़ चुकी थी. मेरी चुत से विकास के लंड का वीर्य निकल रहा था.. मगर फिर भी मेरी चुत में अभी लंड की और प्यास बाकी थी. मैं विकास के दूसरे राउंड की उड़ीक(प्रतीक्षा) करने लगी. विकास का मन भी अभी कहां भरा था.. उसने मुझे घोड़ी बनने को कहा.
मुझे भी अलग अलग तरीके से चुदवाने में मज़ा आता है इसलिए मैंने झट से अपनी 36 इंच चौड़ी गांड को ऊपर उठा दिया. मैंने अपने सिर को तकिये के ऊपर रख दिया और अपनी कमर को भी नीचे के तरफ झुका दिया. इससे मेरे दोनों बड़े बड़े चूतड़ दोनों तरफ फैल गए और मेरी चूत और गांड का छेद विकास के सामने आ गया. विकास ने मेरी गांड को अपने हाथों में पकड़ कर प्यार से सहलाया और फिर मेरी खुली हुई चूत के अन्दर अपना लोहे की रॉड जैसा लंड घुसेड़ दिया.
मोटा लंड अन्दर जाते ही मेरे मुँह से सिसकारियां निकलनी शुरू हो गईं और मैं आहें भरती हुई विकास के लंड से अपनी चुदाई करवाने लगी.
मगर तभी मेरी नज़र खिड़की पर पड़ी और हमें अपनी चुदाई बीच में ही छोड़नी पड़ी.
दरवाजे को लात मारते हुए दादा जी ने विकास को आवाज दी- अरे नालायक दरवाजा खोल … वरना तेरी टांगें तोड़ कर रख दूँगा.
विकास भी बुरी तरह कांप रहा था और वो अपने कपड़े तलाश करने लगा. मगर इतनी देर तक दादा जी दरवाजे पर कम से कम दस बार लात मार चुके थे. विकास अपना अंडरवियर ही पहन पाया था और उसे दरवाजा खोलना पड़ा.
मैं भी मुश्किल से अपनी पैंटी ही पहन पाई थी और बाकी का बदन मुझे वहां पड़ी एक चादर से ही ढकना पड़ा. मैं बेड के दूसरे कोने में जाकर बैठ गयी.
विकास ने दरवाजा खोला तो दादा जी गुस्से से अन्दर आते हुए विकास पर चिल्लाए- अरे नालायक … तुझे शरम नहीं आई यह सब कुछ करते हुए.. तेरी उम्र अभी पढ़ने लिखने की है और तू यह सब कुछ कर रहा है?
विकास डर के मारे कुछ भी नहीं बोल पा रहा था, मगर दादा जी उस पर गुस्से से चिल्ला चिल्ला कर बहुत कुछ बोले जा रहे थे.
दादा जी ने फिर गुस्से से चिल्लाते हुए कहा- यह तो अच्छा हुआ कि तुम्हारी दादी ने मुझे गांव से तुम्हारे पास रहने के लिए भेज दिया और तुम्हारी ऐसी हरकतों का मुझे पता चल गया. अब आने दो तुम्हारे माँ-बाप को … तुम्हारी अच्छे से पिटाई करवाता हूँ.
तभी दादा जी ने मेरी तरफ देखा और फिर गुस्से से मेरी तरफ बड़े- अब तू बता … तू कौन है? और तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई हमारे बच्चे के साथ यह सब करने की?
ऐसे ही चिल्लाते हुए दादा जी ने मुझे बाजू से पकड़ा और खड़ी कर दिया. मैं पेंटी में अपने सीने से लगाई हुए चादर को संभालते हुए दादा जी को सॉरी बोलने लगी.
मगर दादा जी ने मुझे बाजू से पकड़े हुए ही दूसरे हाथ से मेरी चादर को खींच कर नीचे गिरा दिया और मुझे बाहर की ओर धकेलते हुए बोले- चल अब ऐसे ही अपने घर जा … तुझे कोई कपड़ा नहीं मिलेगा.
मगर मैं दादा जी के सामने हाथ जोड़ते हुए और साथ ही अपने चुचों को छिपाने की कोशिश करती हुई बोली- दादा जी, प्लीज़ मेरे कपड़े दे दीजिए. मैं आगे से विकास से कभी नहीं मिलूंगी.
विकास भी दादा जी के सामने हाथ जोड़ने लगा और माफी माँगने लगा.
मगर दादा जी ने गुस्से से कहा- अभी करता हूँ माफ़, तू चल पहले बाहर का मेन दरवाजा बंद करके आ!
दादा जी ने विकास को उंगली से इशारा करते हुए कहा.
विकास ने जल्दी से अपनी पैंट पकड़ी और बाहर की तरफ भाग गया.
दादा जी ने मेरी तरफ गुस्से से देखा और मुझे बांहों से पकड़ कर बेड पर गिरा दिया और बोले- चल अब तुझे करता हूँ माफ़… वे ये कहने के साथ ही खुद भी मेरे ऊपर लेट गए.
मैं कुछ बोल पाती, उससे पहले ही दादा जी ने मेरे होंठों को अपने मुँह में ले लिया और मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया. दादा जी लंड उनकी धोती में से मुझे मेरी चूत पर महसूस होने लगा था.. मैं समझ गयी थी कि दादा जी अब मेरी चुदाई करके ही मुझे माफ़ करेंगे. मैं उनको बिना रोके टोके उनका साथ देने लगी. वैसे भी जितना दादा जी मुझे पहले डरा चुके थे, उससे अब मैं कुछ भी बोलने से डर रही थी कि कहीं दादा जी को मना किया तो मुझे पकड़ कर नंगी हालत में बाहर ही ना निकाल दें इसलिए मैं चुपचाप उनका साथ देने लगी.
दादा जी ने अपनी धोती उतार कर फेंक दी और मैंने भी उनका साथ देते हुए उनका कुर्ता ऊपर को निकाल दिया.
दादा जी की सफेद और काले बालों से भरी छाती, मेरे गोरे मुलायम चुचों पर रगड़ने लगी. मैं भी अपने चुचे उछाल उछाल कर उनके सीने से रगड़ने लगी. फिर दादा जी ने मेरी बांहें छोड़ कर मेरे चुचों को पकड़ लिया और उनको ज़ोर ज़ोर से दबाते हुए मेरी पेंटी के ऊपर से ही अपने लंड को दबाने लगे.
वैसे तो अभी दादा जी भी कच्छा पहने हुए थे.. मगर उनका लंड एकदम टाइट हो चुका था और किसी असली मर्द का लंड महसूस हो रहा था.
तभी विकास भी दरवाजा बंद करके अन्दर आ गया और दादा जी को मेरे ऊपर चढ़े देख भौंचक्का देखता रह गया.
दादा जी ने भी उसकी तरफ देखा और बोले- कर दिया दरवाजा बंद.. चल अभी दूसरे कमरे में बैठ.. तुझको बुलाता हूँ बाद में.
विकास भी बिना कुछ बोले चुपचाप कमरे से मेरी तरफ देखता हुआ बाहर चला गया.
मैंने भी उसको ऐसे जाते देख एक हल्की से स्माइल दे दी.
अब दादा जी मेरे ऊपर से उठे और मेरी दोनों टाँगों के बीच बैठते हुए मेरी पेंटी को खींच कर उतार दिया और फिर अपना भी कच्छा उतार कर खुद घुटनों के बल बैठ गए. उन्होंने मुझे भी मेरे हाथों से पकड़ कर बिठा दिया. फिर जाने उनको क्या सूझा, उन्होंने मुझे खींच कर अपनी तरफ मुँह करके मुझे अपनी जांघों पर बिठा लिया. ऐसा करने से मेरी चूत दादा जी के लंड के साथ टकरा गयी. दादा जी मेरी कमर के पीछे से अपने हाथ डाल कर मुझे अपने साथ सटा लिया और फिर मेरे दोनों चुचों को बारी बारी अपने मुँह में लेकर चूसने लगे. साथ ही वे अपने हाथ मेरी पीठ और मेरे बिखरे हुए बालों में घुमाने लगे.
मैं भी उनकी पीठ पर अपने हाथ घुमाने लगी और अपने नाख़ून भी उनकी पीठ पर गड़ाने लगी. दादा जी का लंड एकदम सख्त होकर मेरी चूत के दाने से रगड़ खा रहा था. मैं इतनी गर्म हो चुकी थी कि मेरी चूत से पानी की बौछार हो रही थी जिससे दादा जी का लंड भी भीग चुका था. मगर दादा जी मेरी चूत में अपना लंड ना डाल कर मुझे बुरी तरह से तड़पा रहे थे. इसलिए मैंने खुद ही अपने चूतड़ों को थोड़ा ऊपर उठा कर अपनी चूत को दादा जी लंड के ऊपर सैट किया और फिर धीरे धीरे उनके लंड पर अपना वजन डाल कर बैठने लगी.
मेरी इस अदा से दादा जी के मुँह से ‘आआह्ह्ह..’ की आवाज़ निकल गयी और उन्होंने भी अपनी कमर को अकड़ाते हुए अपना लंड सीधा मेरी चूत में धकेल दिया. इससे मेरे मुँह से भी कामवासना से भरी सिसकारियां निकलनी शुरू हो गईं. दादा जी का पूरा लंड मेरी चूत के अन्दर घुस गया.
अब दादा जी ने कहा- अरे वाह मेरी रानी.. तूने तो एक ही बार में पूरा लंड निगल लिया.
मैंने दादा जी की आँखों में देखा और कहा- आप तो इतना तड़पा रहे थे अपनी रानी को … इसी लिए आपकी रानी ने पूरा एक साथ ही निगल लिया.
फिर दादा जी मेरी तरफ देख कर मुस्कराए और बोले- सच में रानी … मुझे नहीं पता था कि तुझमें इतनी तड़प है.. वरना कब से डाल दिया होता.
मैंने कहा- दादा जी.. अभी तो बहुत तड़प बाकी है.. वो भी आपसे ही पूरी करवानी है.
दादा जी ने कहा- अच्छा.. तो फिर यह लो रानी.. जितनी मर्ज़ी, तड़प पूरी करो..
ये बोलते हुए दादा जी ने मुझे कमर से कस के पकड़ते हुए नीचे से ज़ोर का धक्का लगा दिया. मेरे मुँह से ‘आह्ह्ह्ह..’ की तेज आवाज़ निकल गयी और मैं भी अपनी कमर को हिलाने लगी.
मैं दादा जी जांघों पर उनकी गोद में बैठी अपने चूतड़ हिला हिला कर उनका लंड अपनी चूत के अन्दर बाहर करने लगी. दादा जी भी मेरी पतली कमर में से अपने हाथ डाले हुए मेरे बदन को मसलने लगे और अपने चेहरे को मेरे चुचों के ऊपर रगड़ने लगे.
मैंने पूरी तरह से अपने आप को दादा जी की बांहों के हवाले करते हुए आंखें बंद कर लीं और फिर अपनी बांहें ऊपर उठा कर अपने बालों में हाथ घुमाते हुए पीछे की तरफ झुक गयी, जिससे मेरी चूत का दबाव दादा जी के लंड के ऊपर और ज़्यादा बढ़ गया. मैं पूरी तरह से मदहोश हुई दादा जी का लंड झटकों के साथ अपनी चूत के अन्दर बाहर करने लगी. दादा जी भी अपने लंड को अकड़ाए हुए ज़ोर ज़ोर के धक्के मेरी चूत में लगा रहे थे. मेरी मादक सिसकारियां पूरे कमरे में गूँज रही थीं. दादा जी भी मुझे चोदने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे.
लंड चूत के अन्दर ही डाले हुए दादा जी ने कुछ देर के बाद मुझे पीछे को करते हुए बेड पर लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर आ गए.
अब दादा जी ने मेरी दोनों टाँगों को पकड़ कर ऊपर की तरफ उठा दिया और फिर अपने लंड पर अपना पूरा वजन डाल कर लंड मेरी चूत के अन्दर बाहर करने लगे. इस आसन से उनका पूरा लंड मेरी चूत की जड़ तक चोट करने लगा था. मेरे मुँह से सिसकारियां निकलनी और भी तेज हो गयी थीं.
उधर दादा जी ज़ोर ज़ोर के धक्के मारते हुए बोल रहे थे- आह. ले रानी.. खूब चिल्ला मेरी रानी.. और ज़्यादा चिल्ला.. तू जितना चिल्लाएगी.. उतना ही मेरा लंड तुझे ज़्यादा चोदेगा… आह ले!
दादा जी के मुँह से ऐसी बात सुनकर मैं और भी ज़्यादा चिल्लाने लगी और ज़ोर ज़ोर से आहें भरने लगी. इससे दादा जी ने भी अपनी चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी. मुझे भी ज़्यादा मज़ा आने लगा. सच में यह मेरा पहला अनुभव था कि ज़्यादा चिल्लाने से चुदाई में ज़्यादा मज़ा आता है. मैं भी ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा लेना चाहती थी.
दादा जी ने मुझे करीब बीस मिनट तक चोदा और फिर मेरी चूत के अन्दर ही उन्होंने अपना लावा छोड़ दिया. मैं भी बुरी तरह से थक चुकी थी.. और दादा जी से पहले ही झड़ चुकी थी. दादा जी का वीर्य मेरी चूत में उनके तेज तेज झटकों से निकल रहा था. वो इस वक्त मुझे इतना कस के पकड़े हुए थे कि मेरा हिलना भी मुश्किल था. इसलिए मैं भी अपनी चूत के अन्दर उनका हर एक झटका मजबूती से झेल रही थी.
आख़िरकार दादा जी का पूरा माल मेरी चूत में निकल गया और दादा जी ने मुझ पर से भी अपनी पकड़ ढीली कर दी. फिर वे मेरी चूत में लंड डाले हुए ही मेरे ऊपर लेट गए मगर अभी भी उनके हाथ मेरे बालों और मेरे बदन पर ऐसे घूम रहे थे जैसे अभी उनकी प्यास पूरी नहीं हुई हो और वो दूसरे राउंड के लिए खुद को तैयार कर रहे हों.
मगर उनका लंड धीरे धीरे ढीला होकर मेरी चूत से बाहर फिसल रहा था. मैं भी बुरी तरह से थकी हुई थी. दादा जी भी अपने लंड को तैयार ना देख कर मुझ पर से लुड़क कर बेड पर लेट गए.
अभी हम दोनों को लेटे हुए पाँच मिनट ही हुए थे कि विकास भी कमरे में आ गया और दादा जी से हिचकिचाते हुए बोला- दादा जी.. अब्ब्.. अब आअ.. आप दूसरे क..क्क्क….कमरे में चले जाइए..
दादा जी ने उसकी तरफ देखा और बोले- मैं कहीं नहीं जाऊंगा.. तूने जो करना है मेरे सामने कर!
अपने दादा जी के सामने विकास कुछ भी बोल नहीं पाया और वो अपनी पैंट और अंडरवियर उतार कर मेरे पास आक़र लेट गया. मैं तो पहले से ही नंगी लेटी हुई थी. विकास मेरे ऊपर आकर लेट गया और मुझसे लिपट कर मेरे बदन को मसलने लगा.
कुछ ही देर में विकास का लंड पहले की तरह लोहे की रॉड बन चुका था. मैं भी गर्म हो गई. उसने फिर से मुझे घोड़ी बना लिया और खुद मेरे पीछे आकर मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से मुझे चोदने लगा. मैं फिर से चिल्ला चिल्ला कर विकास से चुदाई करवाने लगी.
तभी दादा जी भी मेरे मुँह के सामने आकर बैठ गए. उनका लंड फिर से खड़ा हो चुका था. उन्होंने अपनी दोनों टांगें फैला कर अपना लंड मेरे मुँह के सामने कर दिया और मेरे सिर को पकड़ कर अपने लंड पर दबा दिया. मैंने भी अपना मुँह खोला और दादा जी का लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.
अब मेरी दोनों तरफ से चुदाई हो रही थी … मुँह से भी और चूत से भी … इसी तरह दादा पोता ने मिलकर मेरी चूत को करीब 4 घंटे तक चोदा.
फिर मैं शाम को दादा जी और विकास से फिर मिलने का वादा करके घर लौट आई.
दोस्तो, पंजाब दी मुटियार की कहानी आपको कैसी लगी, मुझे मेल करके ज़रूर बताना और हो सके तो अपने सुझाव भी मुझे देना.
मेरी ईमेल आइडी है.
bhabi.komalpreet85@gmail.com

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भैया की शादी की रात में लड़की चोदी (Bhaiya ki Shadi ki Raat Me Ladki Chodi)

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कामवाली जवान लड़की की चुदाई (Kam Wali Jawan Ladki Ki Chudai)


मैं आपको यह भी बताना चाहूंगा कि मेरी पिछली कहानी और यह कहानी मेरी जिन्दगी की सच्ची घटनाएं हैं. आपको भले ही ये बनावटी लगें, पर ये सच्ची कहानी हैं. कहानी को मजेदार बनाने के लिए मैंने कुछ मसाला अपनी तरफ से जोड़ा है और नाम सारे काल्पनिक रखे हैं.
वैसे चूत चुदाई के मामले में मैं अपने आपको बहुत लकी मानता हूं क्योंकि मैं जहां भी रहता हूं, कहीं ना कहीं से चूत का जुगाड़ हो ही जाता है. एक समय तो ऐसा था कि 6 औरतें और 4 लड़कियां ऐसी थीं कि जिनकी चुदाई मैं जब चाहूं, तब कर सकता था. वो भी चुदाई के लिए हमेशा तैयार रहती थीं.
उन सबकी चुदाई के बारे में बाद में बताऊंगा, फिलहाल इस कहानी के बारे में बात करता हूं.
चाची की चुदाई के बाद मुझे चुदाई का ऐसा चस्का मुझे लग गया था कि अब चूत के बिना रहना मेरे लिए मुश्किल था. सन 2011 में मैंने इंटरमीडिएट पास किया. उसके बाद मेरे मम्मी पापा मुझे आगे की पढ़ाई के लिए किसी बड़े शहर के अच्छे कालेज में भेजना चाहते थे. पर मैं वहां नहीं जाना चाहता था क्योंकि बड़े शहर मेरे गांव से काफी दूर थे और वहां से मैं जल्दी घर नहीं आ सकता था. चूंकि अब मैं चूत के बिना रह नहीं सकता था और चाची की चूत के अलावा मेरे पास लंड को शांत करने का और कोई उपाय नहीं था.
तो मैं अपने घर से 35 किमी दूर एक छोटे से शहर में रहने को राजी हुआ ताकि मैं हर शनिवार को घर आ जाऊं और चाची की चुदाई करके वापस चला जाऊं. पर मुझे क्या पता था कि जहां मैं जा रहा हूं, वहां एक से बढ़ कर एक चूत मिलेंगी.
मैंने एक कालेज में एडमीशन लिया और वहीं किराए का कमरा लेकर रहने लगा. जहां मैं रहता था, वो 2 मंजिल का मकान था. इस मकान में नीचे कई कमरे थे, जिनमें से एक में सिर्फ मैं ही रहता था. दूसरी मंजिल पर मकान मालिक रहता था.
मेरा मकान मालिक राजनीतिक आदमी था, तो वो दिन भर घर से बाहर ही रहता था. मेरे कालेज की छुट्टी 12 बजे हो जाती थी. इस तरह घर में ज्यादातर सिर्फ चार ही लोग रहते थे. नीचे की मंजिल में मैं अकेला और ऊपर मकान मालकिन, उनकी भतीजी नेहा और उनकी कामवाली, जो कि लगभग 18-19 साल की थी. उसका नाम ऊषा था. मकान मालकिन का मायका थोड़ी ही दूर पर था, तो वो भी कभी कभी अपने मायके चली जाती थी.
उस मकान में मैं पूरे 3 साल तक रहा और मेरे अगल बगल के कमरों में कई भाभियां रहने के लिए आईं और गईं और लगभग सभी को मैंने चोदा. पर वो सब आगे बताउंगा.
जल्दी ही मैंने जिम जाना शुरू कर दिया ताकि शाम को दो घंटे जिम में कट जाएं. मेरा शरीर पहले से ही ठीक ठाक था. दो महीने जिम जाने के बाद और भी गठीला हो गया. बीच बीच में मैं घर जाकर चाची की चुदाई कर आता था, तो इसीलिए मेरा लंड ज्यादा उफान नहीं मार रहा था.
अब उस काम वाली ऊषा के बारे में बता दूं. वो लगभग 19 साल की हल्की सांवली छरहरे बदन वाली लड़की थी. शुरूआत में मैंने उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, पर आते जाते नजर पड़ ही जाती थी.
धीरे धीरे दो महीने गुजर गए. अब ऊषा मुझसे काफी बातें करने लगी थी. कभी कभी वो मुझे देखकर मुस्कुरा भी देती थी. मुझे लगा कि वो मुझे पसंद करती है. मैंने सोचा अगर ये पट जाए, तो चूत का जुगाड़ यहीं हो जाए … और ये कितना अच्छा रहेगा. यही सोच कर मैं भी उसे पटाने में लग गया और कामयाब भी रहा.
एक दिन हमेशा की तरह मकान मालिक और उनकी बीवी के जाने के बाद मैं और ऊषा घर में अकेले बचे. मैं नीचे की सीढ़ियों पर बैठा था. तभी ऊषा बालकनी में आयी. मैंने उसे फ्लाईंग किस दी, जिसका जवाब उसने फ्लाईंग किस से ही दिया. मैंने लंड पर हाथ फेर कर उसे नीचे आने का इशारा किया, तो वो थोड़ा रुकने का इशारा करके अन्दर चली गयी. मैं समझ गया कि ये भी चुदना चाहती है.
मैं झट से अन्दर गया, मैंने चड्डी उतार के सिर्फ कैप्री पहन ली और उसका इंतजार करने लगा. थोड़ी देर में वो मेरे कमरे में आ गयी तो मैंने उसे बिस्तर पर बिठाया और खुद उसके बगल में बैठ गया. थोड़ी देर तक मैं इधर उधर की बातें करता रहा. ऊषा काफी शरमा रही थी और मुझसे नजरें भी नहीं मिला रही थी.
फिर मैंने एक हाथ उसकी जांघों पे रखा और सहलाने लगा. धीरे धीरे वो गर्म होने लगी. फिर मैंने उसे बिस्तर पर ही लिटा दिया और उसके नाजुक मुलायम होंठों पे अपने होंठ रख दिए और किस करने लगा. बस 5 मिनट तक किस करने के बाद मैंने सोचा जल्दी से चुदाई कर ली जाए क्योंकि मकान मालकिन कभी भी उसे बुला सकती थी.
मैं उसकी कुर्ती उतारने लगा तो उसने मना कर दिया … क्योंकि वो भी डर रही थी. मैंने भी ज्यादा जबरदस्ती नहीं की क्योंकि मुझे पता था कि अब तो ये मेरे हाथ में है. कभी ना कभी तो नंगी होगी ही. मैं उसे फिर से किस करने लगा और उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया. अपना एक हाथ सलवार में डालकर सीधे उसकी चूत पे रख दिया और सहलाने लगा.
ऊषा की चूत बिल्कुल गर्म थी और थोड़ा थोड़ा रिस रही थी. मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में डाली तो आराम से चली गयी. मैं समझ गया कि ये पहले से चुदी हुई है. बाद में उसने मुझे बताया कि मकान मालिक ही उसे कभी कभी चोदता था. खैर मैं उसकी चूत में उंगली डालकर अन्दर बाहर करने लगा और साथ में उसके होंठों का रसपान भी करता रहा.
मेरा लंड पूरा तन चुका था और कैप्री से बाहर आने को तड़प रहा था. मैंने झट से अपनी कैप्री उतार दी और नंगा हो गया और ऊषा का एक हाथ नीचे ले जाकर अपना लंड पकड़ा दिया. वो मेरे लंड को मुट्ठी में पकड़ कर आगे पीछे करने लगी और बोली- कितना बड़ा है तुम्हारा!
मैंने कहा- तभी तो मजा आता है … एक बार अन्दर ले लोगी, फिर बड़ा नहीं लगेगा.
पांच मिनट उसकी चूत में उंगली अन्दर बाहर करने के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा. मैं समझ गया कि ये झड़ने वाली है. मैं और तेजी से उंगली डालने लगा. जल्दी ही वो झड़ गयी और उसकी चूत से रसधार बह निकली.
झड़ने के बाद ऊषा ने मुझे कस कर पकड़ लिया और किस करने लगी.
मैंने कहा- यार तुम्हारा तो हो गया, पर मेरा अभी बाकी है.
तो ऊषा ने कहा- आज नीचे मत करो … कहीं बीच में ही मालकिन ने बुला लिया तो तुम्हें भी मजा नहीं आएगा … लाओ मैं आज हाथ से करके तुम्हारा निकाल देती हूं … नीचे किसी और दिन कर लेना.
मैंने कहा- हाथ से नहीं … मुँह से करो.
मैं उठ कर घुटनों के बल उसके मुँह के पास बैठ गया और लंड को उसके होंठों पे रख दिया. पर उसने अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया और बोली- मुँह से नहीं करूँगी … पता नहीं कैसी महक आ रही है.
मेरे काफी मनाने के बाद वो लंड मुँह में लेने को राजी हुई. उसने मेरे लंड को पकड़ कर चमड़ी पीछे की … और सुपारे को किस करके धीरे से मुँह में भर लिया. वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर आगे पीछे करने लगी.
मैं पूरी मस्ती में था, तो मैंने उसका सिर पकड़ा और आधा लंड उसके मुँह में घुसेड़ दिया. उसने छटपटा कर मुँह से लंड निकालने की कोशिश की, पर मैंने उसका सर कस कर पकड़ रखा था. उसी तरह मैं उसके मुँह को चोदने लगा. धीरे धीरे मैं अपना पूरा लंड उसके गले तक उतार के चोदे जा रहा था. वो मुझे हटाने की कोशिश कर रही थी, पर हटा नहीं पा रही थी.
पूरे 5 मिनट तक उसके मुँह को चोदने के बाद मैं अपने चरम पर था. फिर मैंने अपना 8 इंच लम्बा लंड उसके मुँह में जड़ तक ठूंस दिया और उसके मुँह में ही झड़ गया. उसकी आंखों से आंसू आ गए. उसका दम घुटने लगा था. वीर्य की आखिरी बूंद निकलने तक मैंने लंड को उसके मुँह में ही रखा. फिर मैंने लंड उसके मुँह से निकाल लिया और बैठ गया.
वो भी उठकर अपने कपड़े सही करने लगी. फिर वो ऊपर चली गयी और मैंने भी कैप्री पहन ली.
उस दिन के बाद ये हमारा रोज का काम हो गया था. उसे जब भी टाईम मिलता वो मेरे पास आ जाती और हम चूमाचाटी कर लेते. दिन में एक दो बार मैं उसे लंड चुसवा ही देता और अपना माल उसके मुँह में ही निकालता, जिसे वो पी जाती. पर असली मजा तो चूत की चुदाई में ही आता है. लेकिन उसे चोदने का मौका मुझे नहीं मिल रहा था.
ऐसे ही 15 दिन निकल गए. एक दिन सुबह जब मैं नहाने जा रहा था, तो ऊषा ने मुझे सीढ़ियों पर बुलाया. मैं तुरंत पहुंच गया और उसे पकड़ कर किस करने लगा.
दो मिनट किस करने के बाद वो बोली- आज मालकिन तीन चार घंटे के लिए बाहर जाएंगी … नेहा (मकान मालकिन की भतीजी) भी स्कूल चली जाएगी.
इतना सुनते ही मैं खुश हो गया और मेरा लंड खड़ा होने लगा. मैंने कहा- तो फिर आज तैयार रहना. आज तो मैं पूरा मजा लूंगा.
फिर वो मुझसे हाथ छुड़ा कर चली गयी और मैं भी सीधे बाथरूम में गया और मुठ मारने लगा क्योंकि मेरा लंड खड़ा हो चुका था. उसकी चूत को याद करते हुए मार रहा था. जल्दी ही मैं झड़ गया. फिर मैं नहाया और कॉलेज जाना कैंसिल कर दिया … क्योंकि ऐसा मौका पता नहीं फिर कब आता.
ठीक 9 बजते ही नेहा तो स्कूल चली गई, पर मैं मकान मालकिन के जाने का इंतजार कर रहा था.
थोड़ी देर बाद मकान मालकिन मेरे पास आईं और बोलीं- चार्ली मैं बाहर जा रही हूं … दोपहर तक आ जाऊंगी … ऊषा अकेली है, तो थोड़ा ध्यान रखना.
मैंने कहा- ठीक है आप जाइये … अगर लेट हो जाएँ आप, तो फोन कर दीजिये.
मन में तो आया कि कह दूं कि आप जाइये तो बस … फिर ऊषा का और घर का मैं बराबर ध्यान रखूंगा.
खैर वो चली गईं. उनके जाते ही मैंने मेन गेट अन्दर से लॉक किया और सीधे ऊषा के पास पहुंच गया. वो दरवाजे पर ही खड़ी थी. जाते ही मैंने उसे पकड़ा और किस करने लगा. मैंने उसे कमर से पकड़ कर उठा लिया और बेडरूम में ले गया.
बेडरूम में पहुंचते ही मैंने उसका कुर्ता और सलवार उतार दिया. उसने नीचे कुछ नहीं पहना था. वो भी आज चुदने की पूरी तैयारी में थी. वो मेरे सामने नंगी खड़ी थी. उसके छोटे छोटे संतरे जैसे बूब्स और उसकी जांघों के बीच छोटे बालों से घिरी छोटी सी चूत देखकर मेरा लंड उफान मारने लगा.
मैंने भी झट से अपने कपड़े उतार दिए. चड्डी उतारते ही मेरा लंड तन कर 90 डिग्री में खड़ा हो गया. फिर मैंने उसे बेड पर इस पोजीशन में लिटाया कि उसका सिर मेरी तरफ और पैर दूसरी तरफ थे. उसकी गर्दन बेड के किनारे से बाहर लटक रही थीं. इसी पोजीशन में मैंने अपना लंड उसके होंठों पे रख दिया. उसने भी मुँह खोल कर लंड अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपाप की तरह लंड चूसने लगी.
मैं उसके मम्मों को दबा रहा था और धीरे धीरे उसके मुँह को चोद रहा था. फिर मैं उसके ऊपर झुक गया और उसकी नाभि के पास किस करने लगा, जिससे वो सिहर उठी. मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रखा और सहलाने लगा और उसकी चूत में उंगली डाल कर आगे पीछे करने लगा.
वो पूरी तरह गर्म हो चुकी थी. मुझे उसकी चूत में उंगली डाले 2 मिनट ही हुए होंगे कि उसका शरीर अकड़ने लगा. उसने मेरे लंड पर अपने दांत गड़ा दिए और इधर उसकी चूत से कामरस बह निकला. पर मैं अभी नहीं झड़ा था क्योंकि मैंने थोड़ी देर पहले ही नहाते हुए मुठ मारी थी.
मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकाल लिया और उसे बेड के किनारे पे सीधा लिटा दिया. फिर मैंने उसकी टांगें मोड़ कर ऊपर कर दीं और अपना एक पैर के घुटने को मोड़ कर बेड पर रखा. मेरा दूसरा पैर फर्श पर ही था. उसकी खुली हुइ चूत मेरे लंड के ठीक सामने थी और मेरे लंड को आमंत्रित कर रही थी. उसकी चूत का रस उसकी गांड से होते हुए नीचे तक बह रहा था.
मैं अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा. मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा, तो वो आंखें बंद करके मेरे लंड की रगड़ को महसूस कर रही थी. फिर मैंने उसकी चूत की फांकों को फैलाया और लंड को चूत के मुहाने पर लगा कर हल्का सा धक्का दे दिया. तो मेरे लंड का सुपारा उसकी चूत में घुस गया और उसके मुँह से ‘आह’ निकल गयी.
फिर मैंने उसकी कमर कस के पकड़ ली और जोरदार धक्का मारा. वो ‘अईईईईई उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करके चीख पड़ी. मैंने तुरंत एक हाथ उसके मुँह पे रख दिया. मैंने लंड को थोड़ा पीछे करके एक और झटका लगाया. इस बार मेरा लंड उसकी चूत को चीरते हुए जड़ तक समा गया. वो छटपटायी और रोने लगी, पर मैंने सोचा अगर मैंने लंड निकाल लिया, तो ये दोबारा डालने नहीं देगी. मैं उसके ऊपर लेट गया और किस करने लगा.
थोड़ी देर में जब वो नार्मल हुई तो मैंने धीरे धीरे अपनी कमर हिलानी शुरू की. अब उसे भी मजा आने लगा था और वो नीचे से कमर उठा उठा के मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी.
दस मिनट तक मैं उसे ऐसे ही चोदता रहा. अचानक उसका शरीर कांपने लगा. मैं समझ गया कि ये झड़ने वाली है. उसने मुझे कस कर पकड़ लिया. तभी उसकी चूत का बांध फूट पड़ा. उसकी चूत के रस ने मेरे लंड को पूरा भिगा दिया.
अब मेरा लंड पिस्टन की तरह उसकी चूत में चल रहा था. चूंकि उषा झड़ चुकी थी, तो उसे अब मजा नहीं आ रहा था और मेरा शरीर उसे बोझ लग रहा था, ये बात मैं समझ रहा था. इसलिए मैं चूत में लंड डाले हुए ही पलट गया और उसे अपने ऊपर कर लिया.
अब मैं नीचे से धक्के लगाते हुए उसे किस करने लगा. थोड़ी ही देर में वो फिर से गर्म हो गयी और कमर हिलाने लगी.
फिर मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और घोड़ी बना दिया और पीछे से अपना लंड उसकी चूत में डाल कर चोदने लगा. दस मिनट धकापेल चुदाई के बाद ऊषा फिर से झड़ गयी. मैं भी झड़ने वाला था तो मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी. दो मिनट बाद मेरे लंड ने पिचकारी मार दी और ऊषा की चूत को वीर्य से भर दिया.
मैंने अपना लंड चूत से बाहर निकाल लिया. ऊषा ने मेरे लंड को साफ किया जोकि मेरे वीर्य और उसके चूत के रस से सना हुआ था. मैं लेट गया और वो अपनी चूत को साफ करने बाथरूम में चली गयी. बाथरूम से आकर वो मेरे ऊपर ही लेट गयी और हम दोनों काफी देर तक इधर उधर की बातें करते रहे. इस बीच वो अपनी चूत मेरे लंड पर रगड़ रही थी, जिससे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
वो बोली- यार, तुम्हारा उस्ताद तो फिर से खड़ा हो गया.
मैंने कहा- तुमने ही खड़ा किया है, चूत रगड़ के … अब तुम ही करो.
उसने तुरंत पलट कर मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी. थोड़ी देर चूसने के बाद वो अपने घुटने मेरी कमर के अगल बगल बेड पर टिका कर बैठ गयी. फिर उसने अपनी गांड ऊपर उठा कर लंड को चूत में सैट किया और धीरे धीरे नीचे बैठते हुए पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया.
अब वो उछल उछल कर चुद रही थी और मैं उसके बूब्स दबा रहा था. थोड़ी देर में वो थक गयी, तो मैंने उसे नीचे लिटाया और धकापेल चोदने लगा.
इस बार काफी देर तक मैंने उसकी जबरदस्त चुदाई की. मैंने उसकी गांड भी मारनी चाही, पर उसने मना कर दिया. इस तरह उस दिन मैंने मकान मालकिन के आने से पहले ऊषा को एक बार और चोदा.
उस दिन के बाद जब भी घर पे कोई ना होता, तब हम दोनों चुदाई कर लेते. कुछ दिनों बाद जब सर्दी ज्यादा बढ़ गयी, तब तो हद ही हो गयी. मकान मालिक, मकान मालकिन और उनकी भतीजी नेहा 9 बजे तक अपने बेडरूम में जाके सो जाते. ऊषा अलग रूम में रहती थी, तो वो चुपके से मेरे पास आ जाती और हम रात भर खूब चुदाई करते. वो भी चुदक्कड़ थी. उसका भी दिल कभी एक बार लंड से नहीं भरता था और मैं तो था ही बार बार चूत चुदाई के लिए.
जवान लड़की की देसी चुदाई स्टोरी आपको कैसी लगी, मुझे ईमेल करके जरूर बताएं.
cram91@yahoo.com

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अस्पताल में मिली शादीशुदा लड़की (Hospital Me Mili Shadishuda Ladki)


इसी दिसम्बर में मेरे एक परिचित दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में एडमिट थे, डॉक्टर ने 7 दिन अस्पताल में रखने को कहा था। मैं भी देखने गया, तो उन्होंने मुझसे बोला कि रात में अगर मैं अस्पताल में रुक जाऊं तो उन्हें सुविधा होगी। अब ऐसे हालात में मना करना मुश्किल होता है, इसलिए मैंने हामी भर दी और रात में आने का वादा करके वापस आ गया।
रात में खाना खाकर मैं अस्पताल पहुँच गया तो उनका बेटा मिला तो मैंने उससे कहा कि दो लोगों को रुकने की जरूरत नहीं है और उसे मैंने घर भेज दिया।
हाँ तो अब बात उस कमरे की जहाँ वो एडमिट थे, उस कमरे में दो बेड थे और दो रोगी कुल मिलाकर थे। दिन में मैंने देखा था, वहां उस रोगी के साथ कोई नहीं था, शायद कहीं आस पास में गया होगा।
रात में जब मैं उस कमरे में पहुंचा तो दूसरे रोगी के बेड के बगल में एक खूबसूरत सी लड़की बैठी थी, मेरी नजर उसकी चूचियों पर पड़ी, बड़ी बड़ी चूचियाँ थी, देख कर ही मेरा लंड खड़ा हो गया। मैं भी दूसरे बेड के साथ में बैठ गया। थोड़ी देर बैठा रहा तो पता चला कि रात में रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है, इसका मतलब यह था कि पूरी रात बरामदे में ही गुजारनी थी।
खैर एक वक्त होता है रोगी से मिलने का, वक़्त खत्म हुआ और मैं बाहर आ गया और थोड़ी देर में वो लड़की भी बाहर आ गई। जब वो मेरे सामने से गुजरी तो मैंने उसकी गांड देखी, आह … क्या गांड थी, चूचियाँ तो मस्त थी ही, गांड तो कयामत थी। वो कुरता और लेग्गिंग पहने थी, और लेग्गिंग उसकी गांड पे चिपकी थ. यह देखकर मेरा लौड़ा उसकी चुत को सलामी देने लगा। दिल में ख्याल आने लगा कि इसकी चुत चोद दूँ। मैंने सोचा कि अब तो रात तो इसके आस पास ही गुजारनी है कोशिश तो करूँगा ही, क्या मेरे लौड़े को इसकी चुत मिल जाये।
मैं अस्पताल के चक्कर लगाने लगा कि रात कहाँ बैठकर काटनी है। मैंने कैंटीन देखा और पता किया, कैंटीन पूरी रात खुली रहती थी, यह थोड़ी राहत की बात थी।
मैं फिर वापस वार्ड के तरफ आया, वो लड़की कॉरिडोर में एक बेंच पर बैठी थी। मैं भी उसके बगल में जाकर बैठ गया वो अपने मोबाइल के साथ कुछ कर रही थी, मैं भी अपने मोबाइल में लग गया।
बीच बीच में मैं उसकी तरफ देखता, और एक बार जब मैंने उसे देखा तो वो मेरी तरफ देख रही थी। मैंने सोचा कि रात तो अब ऐसे ही गुजारनी है तो बात का सिलसिला शुरू करने की कोशिश करनी चाहिए।
मैंने उससे पूछा कि पेशेंट उसके कौन हैं?
उसने बताया कि उसकी सास है।
उसने अपना नाम जूही बताया, उसकी शादी 6 महीने पहले जून में हुई थी। उसका पति कनाडा में रहता है। शादी के बाद उसका पति जुलाई में कनाडा चला गया था। वो अपनी सास के कारण दिल्ली में है, कुछ दिन के बाद वो भी कनाडा चली जाएगी।
काफी बातें इधर उधर की होती रही, मैंने उसे कॉफी के लिए कैंटीन चलने बोला तो वो बोली कि अगर गयी और इस बीच में डॉक्टर या नर्स किसी काम के लिए उसे ढूंढा तो मुश्किल होगी। मैं उसके साथ वार्ड में गया और मैंने अपना और उसका नंबर वहां लिखवा दिया कि अगर कोई जरूरत हो तो फ़ोन कर देना।
फिर मैं और जूही कैंटीन में आ गए, कैंटीन में ज्यादा लोग नहीं थे, हम एक खाली टेबल देखकर एक कोने में बैठ गए। कॉफ़ी आयी, हम दोनों पीने लगे, जूही मेरे सामने बैठी थी, टेबल पर आगे की तरफ झुक कर, मैंने उसके कुरते में गले के नीचे देखा, उसकी पीले रंग की ब्रा नजर आ रही थी। मैं नजरें बचा कर बार बार देखने लगा। ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियाँ बाहर आ रही थी, इसका मतलब ये था कि उसने टाइट ब्रा पहन रखा है।
जूही समझ गयी थी कि मैं उसकी चूचियाँ देख रहा हूँ। एक बार हमारी नजरें मिली और जूही मुस्कुरा कर नजरें नीचे कर ली।
उसका मुस्कुराना मेरा हौसला बढ़ा गया, मैंने सोचा कि जुलाई में उसका पति कनाडा चला गया, इसका मतलब है कि 6 महीने पहले जूही चुदी है। मैंने सोचा कि थोड़ी कोशिश करके देखने में कोई हर्ज नहीं है।
मैंने पूछा- शादी में कितने दिन पति के साथ रही?
तो वो बोली- 10 दिन।
मैं बोला- तब तो ठीक से हनीमून भी नहीं मनाया होगा?
इस बात पर वो मुस्कुरा दी और बोली- क्या कर सकते हैं, उन्हें जाना था।
मैंने थोड़ा और बात को अंतरंग बनाया और पूछा- अच्छा ये बताओ फर्स्ट टाइम जब किया तो दर्द ज्यादा हुआ या मजा ज्यादा आया?
वो कुछ नहीं बोली तो मैंने पूछा- बताओ भी यार … शर्माओ नहीं।
जूही बोली- दर्द हुआ पहली बार में! लेकिन बाद में कुछ बार करने के बाद अच्छा लगने लगा।
फिर मैंने पूछा- एक रात में ज्यादा से ज्यादा कितनी बार किया?
जूही बोली- 3 बार तो कई रात किया।
मेरा तीर निशाने पे था, अब मैं उसकी कामवासना भड़काना चाहता था कि वो लंड के लिए बेक़रार हो जाये।
मैंने पूछा- फोरप्ले पसंद है क्या?
वो बोली- बहुत!
मैं बोला- मुझे चाटना बहुत पसंद है लेकिन चिकनी!
इस पर अचानक वो बोल पड़ी- मेरी बिलकुल चिकनी है.
और फिर बोली- लड़कियाँ चिकनी ही रखती हैं।
मैं बोला- मुझे क्या पता कि आपकी चिकनी है, मैंने देखा थोड़े ही है।
वो हँसने लगी।
हम दोनों वापस वार्ड में आ गए और पूरी रात वही बैठ कर बातें करते रहे।
सुबह हुई, मैं जाने के लिए तैयार हुआ, वो भी निकलने लगी, बाहर आयी, अपनी कार निकाली और मुझे बोली- आओ मैं छोड़ दूंगी।
अब मैं उसे चोदने की तैयारी कर चुका था।
मैं उसकी कार में बैठ गया, जूही ने पूछा- कहाँ जाना है?
मैंने बोला- जहाँ ले चलो!
वो हंसी और कुछ सोचकर बोली- मेरे घर चलो, खाना खाकर चले जाना।
थोड़ी देर के बाद उसने अपनी कार एक बड़े घर में सामने रोकी, बहुत ही बड़ा और खूबसूरत घर था। उसने चाबी से दरवाजा खोला और हम दोनों अंदर गए।
उसने मुझे डाइनिंग रूम में बिठाया और थोड़ी देर में चाय बना कर लायी और मेरे करीब सोफे पर बैठ गयी।
अब निश्चित था कि वो अब चुदने को तैयार है. मैंने अपना हाथ उसकी जांघ पर रख दिया, उसने हटाया नहीं। हम दोनों चाय पीते रहे और मैं अपना हाथ धीरे धीरे उसकी जांघों के बीच ले गया और लेग्गिंग के ऊपर से उसकी चुत सहलाने लगा।
उसकी आँखें मादक सी होती जा रही थी, फिर अचानक से वो बोली- पहले फ्रेश हो जाओ।
उसने मुझे एक नया टूथब्रश दिया, मैंने ब्रश किया, और बोला- आ जाओ, साथ में नहाते हैं।
पहले तो उसने मना किया लेकिन मेरे बार बार कहने के बाद वो मान गयी।
मैं और जूही बाथरूम में गए, मैंने कहा- कपड़े तो उतार दो!
वो ऐसे ही खड़ी रही.
फिर मैं आगे बढ़ा और उसका कुरता और लेग्गिंग उतार दिया। उसने पीले रंग की ब्रा और पैंटी पहनी थी। उसका फिगर 36 -30 -38 था। मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए, वो एकटक से मेरा लंड देख रही थी।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपना लंड उसके हाथ में दे दिया. वो कुछ देर मेरे लंड पर उंगली घुमाती रही फिर जोर से मेरा लंड दबाने लगी। मैंने शावर चला दिया और हम नहाने लगे। मैंने उसकी ब्रा और पैंटी उतार दी.
जैसा उसने बोला था उसकी चुत वाकई में चिकनी थी।
मैं नीचे बैठा और उसकी चुत पर एक चुम्मा कर दिया। वहां बॉडी जेल लिक्विड सोप था, मैं जेल उसके जिस्म पर लगाने लगा। उसकी गांड पर लगाया, धीरे धीरे उसकी गांड मसलता रहा, फिर उसकी चूचियों पर लगाया, और साबुन के साथ चूचियों की मसाज की।
फिर मैंने उसने बिठा दिया, उसके पैरों को फैला दिया और उंगली पर जेल लगा कर उसकी चुत के अंदर लगाया, उंगली चुत के अंदर बाहर करने लगा, वो सिसकारी की आवाज उम्म्ह… अहह… हय… याह… करने लगी।
इसके बाद मैंने उसकी चुत को पानी से धो दिया। अब उसने सोप अपने हाथों में लगाया और मेरे लंड को एक हाथ से पकड़ कर दूसरे हाथ से मेरे लंड पर अच्छे से साबुन लगाया। फिर हम दोनों ने शावर लिया और एक टॉवेल से उसके जिस्म को पौंछा और फिर वैसे ही बाहर आ गए।
मैंने जूही को बोला कि मुझे पिंक रंग की ब्रा और पैंटी पसंद है, तो उसने एक मैचिंग ब्रा और पैंटी निकाली और एक नाइटी पहन ली।
उसने ऑनलाइन खाने का आर्डर दे दिया था, जो कुछ देर में आ गया, हम दोनों ने खाना खाया। खाने के बाद हम दोनों शयनकक्ष में आ गए और उसने गाना लगा दिया ‘बॉबी डॉल मैं सोने दी…’ मैंने उससे डांस के लिए बोला, वो डांस करने लगी।
मैं बेड पर बैठा था, और वो डांस कर रही थी, मैं उसके करीब गया, और उसकी नाइटी उतार दी।
अब उसने फिर से डांस करना शुरू कर दिया। उसकी पैंटी बहुत ही सेक्सी थी, पीछे से एक पतली सी पट्टी थी, पूरी गांड नजर आ रही थी। मैं वापस बेड पर बैठ गया और वो डांस करने लगी. वो मेरे करीब आयी और अपनी चूचियाँ दोनों हाथों से पकड़ कर हिलाते हुए डांस करने लगी। फिर वो अपनी गांड मेरे तरफ की और आगे झुक कर गांड हिला कर डांस करने लगी। मैंने उसकी पैंटी नीचे की और उसकी गांड को दोनों हाथों से पकड़ा, वो आगे की तरफ झुकी थी, उसकी चिकनी गोरी चुत मेरे सामने थी, मैंने जीभ से उसकी चुत चाट लिया। जब मैंने जीभ उसकी चुत पर रखा, वो थोड़ा पीछे हुई और मैं कुछ देर तक उसकी चुत चाटता रहा।
फिर वो वापस गयी और फिर नाचने लगी. जब गाना ख़त्म होता, वो फिर से चालू कर देती। एक बार फिर वो अपनी चूचियाँ पकड़ कर नाचते हुए मेरे करीब आयी, इस बार मैंने उसकी ब्रा खोल दी, उसने मेरे हाथों से ब्रा ले ली और उसे घुमा घुमा कर नाचने लगी। वो कभी मेरे करीब आती और कभी दूर जाती। जब मेरे करीब आती, मैं उसकी चूचियाँ दबाता और जब पीछे होती तो उसकी पैंटी नीचे करके उसकी चुत चाट लेता। मैंने उसका मोबाइल ले लिया और गाने को बार बार बजाने लगा।
वो गांड चूचियाँ हिलाते हुए आती और गांड मटकाते हुए नाचते दूर जाती और मैं हर बार उसकी चुत चाटता और चूचियाँ दबाता। मैं सिर्फ अंडरवियर में बैठा था। इस बार वो करीब आयी, एक झटके में मेरा अंडरवियर उतार दी, मुझे बेड पे गिरा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गयी।
वो मुझे चूमने लगी और धीरे धीरे नीचे आती गयी और उसके होंठ मेरे शरीर पर फिसलते गए. और फिर उसने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और सुपारे पर अपनी जीभ घुमाने लगी।
कुछ देर ऐसे करने के बाद उसने मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी। मैं उसकी गांड अपनी तरफ करके चूतड़ सहलाने लगा और वो पूरी स्पीड में मेरा लंड ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर चूसने लगी।
मैंने उसे अपने ऊपर बिठा लिया और उसकी चुत अपने मुँह पर रख ली, उसका चेहरा मेरे पैरों की तरफ था, उसने मेरे लंड को पकड़ पर मुँह में डाल लिया और चूसने लगी। मैं उसकी गांड पकड़ कर थोड़ा फैला कर उसकी चुत पर जीभ घुमाने लगा और फिर उसकी चुत चाटने लगा।
कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे का चूसते रहे. फिर मैंने जूही को नीचे उतारकर लिटा दिया और उसके पैर ऊपर करके उसकी चुत चाटने लगा. मैंने उसकी चुत फैलायी और जीभ चुत के बीच में रख कर चाटने लगा. मैंने उसकी भगनासा पर जीभ फिरायी तो वो सिहर सी गयी, जूही अब बोली- राज, अब मुझे चोद डालो।
मैंने उसकी पैर ऊपर उठाये रखे और अपना लंड उसकी चुत पर रखा और धीरे धीरे लंड जूही की चुत में डालने लगा. 6 महीने चुदे हुए हो गए थे जूही को, तो उसकी चुत टाइट हो गयी थी. मेरे लंड पर उसकी चुत की टाइट ग्रिप महसूस हो रही थी. धीरे धीरे मैं लंड पर दवाब बढ़ा रहा था और लंड चुत के अंदर जा रहा था।
अब मैंने लंड थोड़ा बाहर खींचा और एक जोर का झटका मारा और लंड दनदनाता हुआ चुत में चला गया। अब मैंने उसकी गांड दोनों हाथों से पकड़ लिया, उसके ऊपर लेटकर उसकी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा और धीरे धीरे लंड जूही की चुत में पेलने लगा।
बार बार मैं लौड़ा जूही की चुत में पेलने लगा, बार बार मैं जूही की चुत पर झटके मारने लगा. हर झटके के साथ जूही के मुँह से मादक से सीत्कार निकल रही थी। मैं करीब 5 मिनट तक जूही की बुर ऐसे ही चोदते रहा, फिर मैं लेट गया और जूही मेरे ऊपर आ गयी. उसका चेहरा मेरे पैरों की तरफ था. मैंने अपना लौड़ा जूही की चूत पर रखा और उसकी गांड को पकड़ का नीचे से एक झटका मारा और पूरा लौड़ा जूही की चुत में पेल दिया।
मैंने जूही की गांड पकड़ लिया और दोनों हाथों से ऊपर नीचे करने लगा, उसकी बड़ी गांड जब मेरे लौड़े पर ऊपर नीचे हो रही थी, ये देख कर चोदने का मजा बढ़ता जा रहा था. जूही मेरे लंड पर उछल रही थी।
अचानक से वो सीधी हो गयी और मेरे लंड को हाथों से पकड़ कर अपनी चुत पे रखकर धीरे धीरे मेरे लौड़े पर बैठती गयी और मेरा लंड जूही की चुत की गहराई में घुसता चला गया। वो मेरे लंड पर उछल रही थी और उसकी चूचियाँ हिल रही थी।
मैंने उसकी चूचियों को पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगा. करीब 10 मिनट तक वैसे ही वो मेरे लंड पर उछलती रही।
अब मैंने उसे घोड़ी बना दिया, मैं बेड के नीचे खड़ा हो गया और उसकी गांड को पकड़ लिया. जूही ने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चुत के रखा, मैंने एक झटका मारा और लौड़ा जूही की चूत में चला गया। मैंने जूही की कमर पकड़ लिया और मैं थोड़ा पीछे हटता तो लंड चुत बाहर निकल जाता और जब करीब आता लौड़ा जूही की चूत में चला जाता।
जूही की बड़ी गांड मुझे दीवाना बना रही थी, मैं जोश में उसकी गांड मसलता और जोर जोर से झटके मारता रहा, हर झटके पर मेरे जांघ उसकी गांड पर लगती, हर झटके के साथ उसकी चूचियाँ हिलती।
जूही ने दोनों हाथों से बेडशीट पकड़ रखी थी. मैंने उसकी चुत को एक हाथ से पकड़ कर जोर जोर से चोदना शुरू किया, फुल स्पीड में धकाधक चोदने लगा, जूही बार बार बोल रही थी- राज चोद डालो … और जोर से … फाड़ डालो मेरी चुत।
उसकी ये वासना भरी बातें मेरे जोश बढ़ा रही थी और मैं जोर जोर से उसकी चुत का बाजा बजा रहा था।
कमरे में एक टेबल था मैंने जूही को उसपर बिठाया दोनों पैर ऊपर करके। जूही ने अपने हाथ मेरे गले में डाल लिए. मैंने अपना लंड जूही की चुत में डाल दिया और उसकी गांड को पकड़ कर उसकी चुत चोदने लगा. वो बड़े ध्यान से लंड का चुत में अंदर बाहर होना देख रही थी.
करीब 10 मिनट की धक्कमपेल चुदाई के बाद जूही झड़ गयी लेकिन मेरा चरमोत्कर्ष बाकी था।
मैं उसे ड्राइंग रूम में लाया, उसे सोफे ले लिटाया और उसके पैर सोफे के पैर के ऊपर रख दिया, उंगली से उसकी भगनासा को रगड़ने लगा. करीब 2 मिनट रगड़ने के बाद वो अपनी चुत ऊपर करने लगी.
बस फिर क्या था, मैंने अपना लंड जूही की चुत पर रखा और एक शॉट मारा और लंड चुत के अंदर चला गया।
मैं जूही के होठों को अपने होठों के बीच लेकर चूसने लगा और चूचियाँ पकड़ करके जोर जोर से शॉट मारके जूही की चिकनी चुत चोदने लगा. करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद मैं और जूही एकसाथ झड़ गए और कुछ देर वैसे ही हम दोनों रहे।
फिर मैंने एक टिश्यू पेपर उठाया, जूही की चुत को साफ़ किया और फिर हम दोनों बाथरूम में चले गए। मैंने उसे बिठाया, उसकी चुत में साबुन लगा कर धोया और उसने साबुन से मेरा लंड धोया और हम दोनों ने साथ में शावर लिया और बाहर आ गए।
उस दिन मैंने 3 बार उसे चोदा और रात में एक साथ अस्पताल गए। उसके बाद 5 रात हम अस्पताल गए और हर सुबह वहाँ से जूही के घर … दिन में जूही की चुदाई।
उसके बाद जूही की सास डिस्चार्ज होकर घर चली गयी तो फिर मौका नहीं मिला जूही को चोदने का।
देखता हूँ फिर कब मौका मिलता है।
हर बार की तरह आपकी प्रतिक्रियाओं का इन्तजार रहेगा.
hellosweetgirls@gmail.com

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देसी प्यासी भाभी की चुदाई खेत में (Desi Pyasi Bhabhi Ki Chudai Khet Me)



यह मेरी पहली कहानी है अपनी चचेरी प्यासी भाभी की चुदाई की … मेरे जीवन में हुई यह एक सच्ची घटना है.
दोस्तो, मेरा नाम दिव्येश मिश्रा है और मैं जामनगर गुजरात का रहने वाला हूँ. मैं अपने मम्मी पापा के साथ रहता हूं. मेरे चाचा चाची और उनके बेटे, मतलब मेरा भाई और भाभी हमारे पुश्तैनी गांव में रहते हैं. वहां हमारा खेत है, जिसकी देखभाल वे ही करते हैं.
उन दिनों की बात है.. जब मैं 12वीं में पढ़ता था. मेरे चाचा के लड़के की शादी करीब 2 साल पहले हुई थी. भाभी का नाम रंजू है.. जो दिखने में गांव की देसी गर्ल लगती हैं, पर हैं बहुत सुंदर और सेक्सी. उनके बूब्स बहुत बड़े बड़े हैं. भाभी की फिगर साइज़ 36-30-34 की होगी.
मैं छुट्टियों में अपने गांव चाचा के घर गया था. वहां खेत में काम करने चाचा चाची और भैया जाते थे और भाभी घर पर रहती थीं. मेरे मन में भाभी के लिए थोड़े खराब विचार आने लगे थे. तब मैं भाभी को तिरछी नजर से घूरता रहता था. वो जब काम करतीं तो मैं उनके सामने खड़ा हो जाता और वो झुकतीं, तब मैं उनके हिलते हुए मम्मों को देखता रहता था और उनके सामने ही अपने लौड़े को सहलाने लगता था. भाभी ये सब देख कर बस मुस्कुरा देती थीं.
एक दिन भैया और चाचा को किसी काम से बाहर जाना पड़ा. चाची की भी तबियत खराब हो गई थी, तो वो भी खेत में नहीं गईं और घर पर आराम करने के लिए लेट गईं. चाची ने भाभी को बोला- तुम और दिव्येश खेत में जाकर बैलों को पानी पिला कर चारा आदि डाल आओ.
मैं और भाभी खेत में चले गए. वहां पर कुएं से पानी खींचना था, तो भाभी पानी खींच रही थीं और मैं बैलों को पिला रहा था. तभी भाभी का पैर फिसला और वो गिर गईं. मैं दौड़ के भाभी के पास गया देखा तो भाभी पानी में गिरी हुई थीं और उनकी साड़ी का पल्लू नीचे आ गया था, जिससे उनके बड़े बड़े बूब्स बहुत अच्छे से दिख रहे थे.
मैंने भाभी को संभाला और हाथ से पकड़ के खड़ा किया. भाभी को कमर में मोच आ गई थी, जिससे उन्हें चलने में दिक्कत हो रही थी. मैंने देखा कि पास में एक झोपड़ी थी, वहां पर भाभी को ले जाकर खटिया पर भाभी को बैठा दिया. मैंने भाभी को पानी पिलाया और फिर उनको डॉक्टर के पास जाने को बोला, तो भाभी ने मना कर दिया.
भाभी ने बोला- पास में एक झाड़ है, उसके पत्ते ले आओ, उनके रस से मालिश करूँगी, तो ठीक हो जाएगा.
मैंने उस झाड़ के कुछ पत्ते तोड़े और उनका रस निकाल कर दिया, जिसे भाभी अपने हाथों से कमर पर मालिश करने लगीं.
पर दर्द के चलते भाभी से मालिश नहीं हो पा रही थी. इधर मैं भाभी के गोरे बदन को घूर रहा था.
तभी भाभी बोली- दिव्येश, तुम मेरी थोड़ी मदद कर दो.
मैंने बोला- हां भाभी बोलो.. क्या करूँ?
भाभी ने अपनी कमर पर मालिश करने को बोला और भाभी खटिया पर उल्टा लेट गईं. मैं धीरे धीरे भाभी की कमर पर मालिश करने लगा. भाभी को आराम हो रहा था और मुझसे रहा नहीं जाता था. मैं भाभी की कमर से ऊपर तक मालिश करते करते भाभी के मम्मों को टच कर लेता था. धीरे धीरे भाभी को मजा आने लगा और उनको नींद सी आ गई.. या उन्होंने यूं ही अपनी आंखें बंद कर लीं.
मैंने आवाज दी, तो उनका कोई उत्तर नहीं आया. मैंने देखा कि भाभी सो गई हैं. तो इस बात का फायदा उठाते हुए मैंने धीरे से भाभी की साड़ी को ऊपर करके उनके पैरों के बीच देखने की कोशिश की. मैंने हिम्मत की और भाभी की साड़ी ऊपर करके देखा तो भाभी ने अन्दर कुछ नहीं पहना था और उनकी चूत एकदम क्लीन शेव थी.
भाभी की गोरी और सफाचट चूत देखते ही मेरा तो लंड खड़ा हो गया.
तभी भाभी को कुछ महसूस हुआ और वो हिलने लगीं तो मैंने झट से उनकी साड़ी ठीक कर दी.
भाभी उठ गईं और मुझे देखकर बोलीं- दिव्येश मैं कुछ थक भी गई हूं, सो आराम कर लेती हूँ.. मुझे नींद आ रही है और थोड़ी देर सो जाती हूँ.
मैंने लंड सहलाया और उनकी चूचियों की तरफ देखते हुए बोला- हां सो जाओ भाभी.
भाभी भी अपने होंठों पर एक कातिलाना मुस्कान लाती हुई बोली- आओ तुम भी मेरे पास में सो जाओ, तुम भी थोड़ी देर आराम कर लो.
मैं कुछ कुछ समझ तो गया था, सो मैं जल्दी से उनके बगल में ही लेट गया. चूंकि खटिया सिर्फ एक ही थी और दो जनों के लेटने से हम दोनों चिपके हुए ही लेटे थे. भाभी के बदन की आग और मेरी वासना के चलते मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था. मेरा लंड तन के मोटा हो गया था. जो भाभी के पीछे घुसने की कोशिश कर रहा था. भाभी की गांड बहुत बड़ी थी.
थोड़ी देर बाद मैंने देखा भाभी सो रही हैं, तो मैंने धीरे से भाभी की साड़ी ऊपर करके उनकी गांड के ऊपर हाथ फेरने लगा और अपने खड़े लंड को बाहर निकाल कर उनकी गांड पर टच करने लगा. इससे भाभी हिलीं और थोड़ा और पीछे होकर मुझसे चिपक कर सो गईं.
अब मैं समझ गया कि भाभी सेक्स की प्यासी हैं, सोने का नाटक कर रही हैं और उन्हें मुझसे चुदवाना है.
मैंने देर ना करते हुए अपने हाथ को भाभी की चूत पर लगा दिया और हल्के से उनकी चूत को सहलाने लगा. मैंने महसूस किया कि भाभी की चूत गीली हो गई थी और उनकी सांसें तेज हो गई थीं. मैंने पीछे से भाभी के मम्मों को पकड़ा और जोर जोर से दबाने लगा. भाभी भी मजे ले रही थीं, पर सोने का नाटक भी कर रही थीं.
थोड़ी देर बाद ऐसे ही सोते हुए भाभी चित होकर अपने पैर फैलाकर सो गईं, जिससे समझ गया कि भाभी को अब चूत में खुजली हो रही है और चुदवाना है. मैंने अपने एक हाथ से भाभी की टांग को जरा और फैलाया और साड़ी ऊपर करके उनकी चूत को खोल दिया. जब भाभी की आंखें नहीं खुलीं तो मैं उन पर चढ़ गया और उनको चुम्मी करने लगा और धीरे से उनकी चुत को चाटने लगा. भाभी भी सोने का नाटक करते हुए अपनी चूत उठाकर मेरे मुँह पर हिलाने लगी और अपनी चूत से पानी छोड़ने लगीं.
अब मैं भाभी के पैरों के बीच में आ गया. उनके ऊपर चढ़कर उनकी चूत पर अपना लंड सैट किया और उनको कसके अपनी बांहों में जकड़ कर उनके होंठों पर अपने होंठ रख कर उन्हें किस करने लगा. भाभी अभी भी सोने का नाटक कर रही थीं, लेकिन मुझे किस करने में पूरा सहयोग कर रही थीं. फिर मैंने भाभी की चूत की फांकों में अपने लंड का सुपारा ऊपर नीचे किया, तो भाभी ने अपनी चुत को मेरे लंड के लिए खोल दी. मैंने जोर से एक झटका मारा और मेरा 8 इंच का 3 इंच मोटा लंड उनकी चूत फाड़ते हुए अन्दर घुस गया, जिससे उनकी चीख़ निकलने को हुई. पर भाभी की चीख मेरे मुँह में ही दब कर रह गई, क्योंकि मेरे होंठों का ढक्कन उनके मुँह पर जमा हुआ था. मोटे लंड के एकदम से घुसने के कारण भाभी की आंखें खुल गई थीं और वे दर्द से तड़प रही थीं.
उनके दर्द से ऐसा लग रहा था कि पहली बार इतना मोटा लंड अन्दर गया था. भाभी खुद को मुझसे छुड़ाने के लिए उछल रही थीं. पर मैंने उनको कसके जकड़ रखा था. साथ ही भाभी की चूत में अपने लंड के लम्बे लम्बे धक्के मारता हुआ उन्हें चोदे जा रहा था.
थोड़ी देर बाद उनकी चुत में लंड की सैटिंग हो गई और भाभी को आराम मिलने लगा. अब मैंने होंठ हटा दिए.
भाभी गहरी सांस लेती हुई धीरे से बोली- मार ही डाला यार तूने तो … फाड़ दी मेरी चूत तूने … बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने भाभी को किस करते हुए अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर जोर से उन्हें चोदने लगा. अब भाभी को भी मजा आ रहा था और वो भी अपनी गांड उछाल उछाल कर चुदवा रही थीं. ऐसे ही भाभी को चोदते हुए मैंने अपना सारा माल भाभी की चूत में ही उतार दिया और ऐसे ही उनके ऊपर पड़ा रहा.
कुछ देर बाद भाभी ने किस करके मुझे साइड में किया और खुद खड़ी हो गईं. भाभी ने अपने कपड़े ठीक किए. मैं उनको देखे जा रहा था. भाभी मेरे सामने शरमा रही थीं. वे कुछ बोले बिना झोपड़ी के बाहर चली गईं.
मैंने बाहर जाकर देखा तो भाभी ठीक से चल नहीं पा रही थीं. फिर धीरे धीरे हम घर आ गए और खाना खाके सब सो गए. सुबह देखा तो भाभी को बुखार चढ़ गया था और भैया उनको डॉक्टर के पास ले जा रहे थे. भाभी अभी भी मुझे देख कर शरमा रही थीं.
फिर मैं अपने घर जामनगर आ गया.
थोड़े दिनों बाद मुझे भाभी का फोन आया और थोड़ी देर बात करने के बाद उन्होंने बताया कि खेत में अपने जो शरारत की थी, उसी के कारण अब मैं माँ बनने वाली हूँ.
मैंने भाभी को बधाई दी, तो शरमा कर उन्होंने फोन काट दिया. अभी भाभी को उस दिन की निशानी के रूप में एक लड़का है. अब जब भी मैं गांव जाता हूं तो भाभी बहुत चुदवाती हैं.
यह है मेरी प्यासी भाभी की सच्ची कहानी, आपको कैसी लगी.. आपकी राय मेरा ईमेल आईडी divyeshmishra2018@gmail.com पर जरूर भेजें.

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